Tuesday, June 29, 2010
बदल दिया ठिकाना
बहुत दिनों से कोई पोस्ट नहीं डाली थी सोचा कुछ लिख मारूं। क्या ? मुझे खुद पता नहीं । अपने ब्लॉग को यूँही अकेला तो नहीं ही छोड़ा जा सकता है। सन्डे को घर शिफ्ट किया .एक कमरे में रहते रहते बोर हो चूका था। लेकिन कटवारिया सारे का मोह नहीं छूट रहा था। सात साल में जगह से प्यार हो गया था। जब से दिल्ली आया तब से वहीँ पर रह रहा था। इ-८८ ...सबसे पहले निचले तल पर रहता था फिर तीसरे तल पर फिर चौथे तल पर। भारतीय जन संचार संस्थान से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स किया तो पैदल ही जाते थे। फिर दूरदर्शन न्यूज़ से जुड़ा ऑफिस खेल गाँव में था तो ये जगह मेरे लिए काफी मुफीद थी.शादी के बाद भी वहीँ रहा। एक साल तक एक कमरे के फ्लैट में ही जिंदगी गुजारी। दोस्तों ने खूब जोर लगे लेकिन मैं टस से मस नहीं हुआ। प्यार हो गया था कटवारिया सारे से। दो कमरे का घर भी ढूँढा लेकिन कभी किराया पसंद नहीं आया कभी फ्लैट। इसिलए चुप्पी मारकर पड़ा रहा.फिर अभी पत्नी की तबियत ख़राब हो गयी। अबकी भाई लोगों ने जोर लगाया और मैं इस दफा संभल नहीं पाया। बह गया । इस सन्डे को दो कमरे के फ्लैट में शिफ्ट हो गया। खूब खुला खुला फ्लैट है। आगे पीछे बालकनी है। एकदम मस्त। कल तो कटवारिया का ही हैंग ओवर था आज जब सो कर जगा तो तैयार था नयी जगह में नयी सुबह के लिए। पांडव नगर में ।
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